जब मन बदलता है,
समाज बदल जाता है,
संसार बदल जाता है।
जों चाहे मनस्वी अंतरतम से,
भाल का अंक बदल जाता है।
मत पूछो पवन की लहर पर हिलने वालो,
क्या होता है भट्ठी में डालो देखो तो,
बज्र ह्रदय इस्पात पिघल जाता है।
जों चाहे मनस्वी अंतरतम से,
भाल का अंक बदल जाता है।
मात्र मसि दो चार पत्र,
एक लेखनी एक हस्त,
पर समस्त इतिहास बदल जाता है।
जों चाहे मनस्वी अंतरतम से,
भाल का अंक बदल जाता है।
Saturday, November 22, 2008
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